मां, यह वह
शब्द है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे ज्यादा अहमियत रखता है. ईश्वर सभी
जगह उपस्थित नहीं रह सकता इसीलिए उसने धरती पर मां का स्वरूप विकसित किया, जो हर
परेशानी और हर मुश्किल घड़ी में अपने बच्चों का साथ देती है, उन्हें दुनियां के हर
गम से बचाती है. बच्चा जब जन्म लेता है तो सबसे पहले वह मां बोलना ही सीखता है.
मां ही उसकी सबसे पहली दोस्त बनती है, जो उसके साथ खेलती भी है और उसे सही-गलत
जैसी बातों से भी अवगत करवाती है. मां के रूप में बच्चे को निःस्वार्थ प्रेम और
त्याग की प्राप्ति होती है तो वहीं मां बनना किसी भी महिला को पूर्णता प्रदान करता
है.
आज मदर्स डे
है. यह दिन बच्चों के जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण इंसान, मां को समर्पित है.
भले ही यह दिन भी अन्य दिनों की तरह विदेशी संस्कृति की ही देन है. लेकिन आज जब
सभी की जीवनशैली इतनी ज्यादा व्यस्त हो चुकी है कि उनके पास अपनी मां के लिए ही
समय नहीं बचता तो ऐसे में हम एक दिन तो अपनी मां के नाम कर ही सकते हैं.
मां ना सिर्फ
अपने बच्चों को दुनियां की बुराइयों से बचाती है बल्कि वह अपने बच्चे की सबसे बड़ी
प्रेरणास्त्रोत भी होती है. भारत के इतिहास पर नजर डालें तो कई ऐसे उदाहरण हमारे
सामने हैं जिनमें माताओं ने ही अपनी संतान को महान बनाने में सबसे बड़ी और
महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. ध्रुव की मां सुनीति हों या फिर महान शिवाजी की माता
जीजाबाई, सभी ने अपने बच्चों को जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों से जूझना सिखाते
हुए उन्हें एक उत्कृष्ट जीवन भेंट किया. वर्तमान समय में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया
गांधी, कोकिला अंबानी आदि जैसे कई बड़े नाम हैं जिन्होंने अपने बच्चों को स्थापित
और प्रेरित करने में एक प्रभावी भूमिका निभाई. बड़े नाम ही क्यों, किसी भी सामान्य
महिला को देख लीजिए जितना त्याग और समर्पण वह अपनी संतान के लिए करती हैं शायद कभी
कोई इस बारे में सोच भी नहीं सकता.
मां से जुड़ी
सबसे बड़ी खासियत यह है कि आज के भौतिकवादी युग में जहां सभी रिश्ते स्वार्थ से
पोषित है तो ऐसे में केवल मां ही है जो बिना किसी अपेक्षा या लालच के अपनी संतान
को भरपूर प्रेम देती है. लेकिन मानव जीवन की भी अजीब विडंबना है, वह उन लोगों को
तवज्जो ही नहीं देता जो उसी के लिए जीते हैं. यही वजह है कि आज ना जाने कितनी
माताएं, अपने बच्चों के होते हुए भी वृद्धाश्रम में तन्हा जीवन व्यतीत कर रही हैं.
कितनों को उनके बच्चे सड़क पर असहाय छोड़कर चले जाते हैं. वो भी सिर्फ इसीलिए
क्योंकि उन्हें अपनी मां ही अपनी स्वतंत्रता और पारिवारिक खुशहाली की राह में बाधा
लगने लगती है. जिस मां ने खुद भूखे रहकर, अपनी सभी इच्छाओं को नजरअंदाज कर अपने
बच्चे की हर कमी को पूरा किया आज वही अपने बच्चे के लिए बोझ बन गई है. दुनियां की
चकाचौंध में मशगूल व्यक्ति अपनी मां को पीछे छोड़कर सफल जीवन की कामना करता है, जो
किसी भी रूप में संभव नहीं है.
मां, जिसे
प्रेम और त्याग की मूरत कहा जाता है, मानव के लिए ईश्वरीय वरदान से कम नहीं है.
जिसकी महत्ता को दरकिनार कर कोई भी व्यक्ति आत्मिक संतुष्टि नहीं पा सकता. तो अगर
आज के इस विशेष दिन पर अभी तक आपने अपनी मां के लिए कोई तोहफा नहीं लिया है या अभी
तक उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत नहीं करवाया है तो जल्द से जल्द उनके पास जाएं और
बोलें आई लव यू मां.
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