Sunday, May 3, 2015

ब्रह्मचारी होते हुए भी भीष्म पितामह ने तीन लड़कियों का किया अपहरण जानें क्यों?


महाभारत में कई ऐसी कथाएं जो आपको हैरान कर सकती है। इनमें एक कथा है भीष्म पितामह की। पूरा महाभारत पढ़ने के बाद कई बार यह भा अनुभव होता है कि महाभारत के युद्घ के लिए अगर सबसे पहले कोई जिम्मेदार था तो वह और कोई नहीं भीष्म पितामह ही थे।

भीष्म का जन्म गंगा के गर्भ से हुआ था और इनके पिता शांतनु थे। भीष्म के जन्म के बाद गंगा शांतनु को छोड़कर चली गई। गंगा ने ही भीष्म का पालन-पोषण किया और युवा होने पर भीष्म को शांतनु को सौंप दिया।

उस समय भीष्म की उम्र विवाह योग्य थी लेकिन एक दिन शांतनु की नजर सत्यवती नाम की युवती पर गई तो खुद ही प्रेम जाल में उलझ गए और पुत्र का विवाह करवाने की उम्र में स्वयं दूसरी पत्नी घर ले आए।

सत्यवती ने इस शर्त पर शांतनु से विवाह किया कि भीष्म विवाह नहीं करेंगे और सत्यवती की संतान हस्तिनापुर का राजा बनेगा। इस शर्त के कारण भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतीज्ञा ली। लेकिन एक समय ऐसा आया जब ब्रह्मचारी होते हुए भी भीष्म ने एक नहीं बल्कि तीन राजकुमारियों का एक साथ अपहरण कर लिया।

जब भीष्म ने किया राजकुमारियों का अपहरण

यह घटना उस समय की है जब शांतनु और सत्यवती के पुत्र चित्रांगद और विचित्रवीर्य युवा हुए और इनके विवाह की चर्चा होने लगी। उन्हीं दिनों काशी के राजा ने अपनी तीनों राजकुमारी अंबा, अंबिका और अंबालिका के विवाह के लिए स्वयंवर का अयोजन किया। सत्यवती के कहने पर भीष्म चित्रांगद और विचित्रवीर्य को लेकर काशी पहुंचे।

जब तीनों राजकुमारियां चित्रांगद और विचित्रवीर्य को पति रूप में में स्वीकार नहीं किया तब आवेश में आकर भीष्म ने पूरी सभा के सामने धनुष बाण उठा लिया और कहा कि मैं चित्रांगद और विचित्रवीर्य के लिए तीनों राजकुमारियों का अपहरण करता हूं।

भीष्म के सामने किसी ने सिर उठाने का साहस नहीं किया। भीष्म ने कुंवारी कन्याओं का अपहरण करने का अपराध किया था जिसका परिणाम महाभारत युद्घ हुआा जिसमें भीष्म के साथ पूरा कुरू वंश तबाह हो गया।

काशी की राजकुमारी ने इस तरह लिया अपहरण का बदला

भीष्म ने जिन तीन राजकुमारियों का अपरहण किया था उनमें अंबिका और अंबालिका ने चित्रांगद और विचित्रवीर्य से विवाह कर लिया। लेकिन अंबा का प्रेम संबंध शाल्व नरेश था।

भीष्म को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने अंबा का शाल्व नरेश के पास भेजा लेकिन शाल्व नरेश ने अपहरण हो चुकी राजकुमारी से विवाह करने से इंकार कर दिया।

अंबा ने भीष्म के सामने यह शर्त रखी कि आपने मेरा अपहरण किया है इसलिए अब आपको मुझसे विवाह करना होगा। भीष्म ने अंबा से कहा कि मैं आजीवन अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा ले चुका हूं इसलिए विवाह नहीं कर सकता।

अंबा भीष्म को शाप देकर हस्तिनापुर से चली गई कि, चाहे जितना भी जन्म लेना पड़े मैं तुम्हारी मृत्यु का कारण बनूंगी। अंबा ने शिखंडी के रूप में पुनर्जन्म लिया।


शिखंडी तो पुरूष था और स्त्री और भीष्म शिखंडी रूप में भी अंबा को जान चुके थे। इसलिए जब महाभारत युद्घ में शिखंडी अर्जुन के रथ पर चढ़कर युद्घ करने पहुंचा तो भीष्म ने अपना धनुष नीचे रख दिया और अर्जुन ने भीष्म को बाणों की शैय्या पर सुला दिया।

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