Monday, January 25, 2016

Happy Republic Day गणतन्त्र दिवस जय हिन्द, जय भारत




26 जनवरी – गणतन्त्र दिवस

मातृभुमि के सम्मान एवं उसकी आजादी के लिये असंख्य वीरों ने अपने जीवन की आहूति दी थी। देशभक्तों



Happy Republic Day

की गाथाओं से भारतीय इतिहास के पृष्ठ भरे हुए हैं। देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत हजारों की संख्या में भारत माता के वीर सपूतों ने, भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अपना सर्वस्य न्योछावर कर दिया था। ऐसे ही महान देशभक्तों के त्याग और बलिदान के परिणाम स्वरूप हमारा देश, गणतान्त्रिक देश हो सका।

गणतन्त्र (गण+तंत्र) का अर्थ है, जनता के द्वारा जनता के लिये शासन। इस व्यवस्था को हम सभी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। वैसे तो भारत में सभी पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, परन्तु गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। इस पर्व का महत्व इसलिये भी बढ जाता है क्योंकि इसे सभी जाति एवं वर्ग के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं।

गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं? मित्रों, जब अंग्रेज सरकार की मंशा भारत को एक स्वतंत्र उपनिवेश बनाने की नजर नही आ रही थी, तभी 26 जनवरी 1929 के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरु जी की अध्यक्षता में कांग्रेस ने पूर्णस्वराज्य की शपथ ली। पूर्ण स्वराज के अभियान को पूरा करने के लिये सभी आंदोलन तेज कर दिये गये थे। सभी देशभकतों ने अपने-अपने तरीके से आजादी के लिये कमर कस ली थी। एकता में बल है, की भावना को चरितार्थ करती विचारधारा में अंग्रेजों को पिछे हटना पङा। अंतोगत्वा 1947 को भारत आजाद हुआ, तभी यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1929 की निर्णनायक तिथी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनायेंगे।

26 जनवरी, 1950 भारतीय इतिहास में इसलिये भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भारत का संविधान, इसी दिन अस्तित्व मे आया और भारत वास्तव में एक संप्रभु देश बना। भारत का संविधान लिखित एवं सबसे बङा संविधान है। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 2 वर्ष, 11 महिना, 18 दिन लगे थे। भारतीय संविधान के वास्तुकार, भारत रत्न से अलंकृत डॉ.भीमराव अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने विश्व के अनेक संविधानों के अच्छे लक्षणों को अपने संविधान में आत्मसात करने का प्रयास किया है। इस दिन भारत एक सम्पूर्ण गणतान्त्रिक देश बन गया।देश को गौरवशाली गणतन्त्र राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तो ने अपना बलिदान दिया उन्हे याद करके, भावांजली देने का पर्व है, 26 जनवरी।

मित्रो, भारत से व्यपार का इरादा लेकर अंग्रेज भारत आये थे, लेकिन धीरे -धीरे उन्होने यहाँ के राजाओं और सामंतो पर अपनी कूटनीति चालों से अधिकार कर लिया। आजादी कि पहली आग मंगल पांडे ने 1857 में कोलकता के पास बैरकपुर में जलाई थी, किन्तु कुछ संचार संसाधनो की कमी से ये आग ज्वाला न बन सकी परन्तु, इस आग की चिंगारी कभी बुझी न थी। लक्ष्मीबाईसे इंदिरागाँधी तक, मंगल पांडे से सुभाष तक, नाना साहेब से सरदार पटेल तक, लाल(लाला लाजपत राय), बाल(बाल गंगाधर तिलक), पाल(विपिन्द्र चन्द्र पाल) हों या गोपाल, गाँधी, नेहरु सभी के ह्रदय में धधक रही थी। 13 अप्रैल 1919 की (जलिया वाला बाग) घटना, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे अधिक दुखदाई घटना थी। जब जनरल डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, शांत बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था और हज़ारों लोगों को घायल कर दिया था। यही वह घटना थी जिसने भगत सिंह और उधम सिंह जैसे, क्रांतीकारियों को जन्म दिया। अहिंसा के पुजारी हों या हिंसात्मक विचारक क्रान्तिकारी, सभी का ह्रदय आजादी की आग से जलने लगा। हर वर्ग भारतमात के चरणों में बलिदान देने को तत्पर था।

अतः 26 जनवरी को उन सभी देशभक्तों को श्रद्धा सुमन अपिर्त करते हुए, गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भारतवर्ष के कोने-कोने में बड़े उत्साह तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। प्रति वर्ष इस दिन प्रभात फेरियां निकाली जाती है। भारत की राजधानी दिल्ली समेत प्रत्येक राज्य तथा विदेषों के भारतीय राजदूतावासों में भी यह त्योहार उल्लास व गर्व से मनाया जाता है।

26 जनवरी का मुख्य समारोह भारत की राजधानी दिल्ली में भव्यता के साथ मनाते हैं। देश के विभिन्न भागों से असंख्य व्यक्ति इस समारोह की शोभा देखने के लिये आते हैं। हमारे सुरक्षा प्रहरी परेड निकाल कर, अपनी आधुनिक सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करते हैं तथा सुरक्षा में सक्षम हैं, इस बात का हमें विश्वास दिलाते हैं। परेड विजय चौक से प्रारम्भ होकर राजपथ एवं दिल्ली के अनेक क्षेत्रों से गुजरती हुयी लाल किले पर जाकर समाप्त हो जाती है। परेड शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ‘अमर जवान ज्योति’ पर शहीदों को श्रंद्धांजलि अर्पित करते हैं। राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ 14 घोड़ों की बग्घी में बैठकर इंडिया गेट पर आते हैं, जहाँ प्रधानमंत्री उनका स्वागत करते हैं। राष्ट्रीय धुन के साथ ध्वजारोहण करते हैं, उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है, हवाई जहाजों द्वारा पुष्पवर्षा की जाती है। आकाश में तिरंगे गुब्बारे और सफेद कबूतर छोड़े जाते हैं। जल, थल, वायु तीनों सेनाओं की टुकडि़यां, बैंडो की धुनों पर मार्च करती हैं। पुलिस के जवान, विभिन्न प्रकार के अस्त्र-षस्त्रों, मिसाइलों, टैंको, वायुयानो आदि का प्रदर्षन करते हुए देश के राष्ट्रपति को सलामी देते हैं। सैनिकों का सीना तानकर अपनी साफ-सुथरी वेषभूषा में कदम से कदम मिलाकर चलने का दृष्य बड़ा मनोहारी होता है। यह भव्य दृष्य को देखकर मन में राष्ट्र के प्रति भक्ति तथा ह्रदय में उत्साह का संचार होता है। स्कूल, कॉलेज की छात्र-छात्राएं, एन.सी.सी. की वेशभूषा में सुसज्जित कदम से कदम मिलाकर चलते हुए यह विश्वास उत्पन्न करते हैं कि हमारी दूसरी सुरक्षा पंक्ति अपने कर्तव्य से भलीभांति परिचित हैं। मिलेट्री तथा स्कूलों के अनेक बैंड सारे वातावरण को देशभक्ति तथा राष्ट्र-प्रेम की भावना से गुंजायमान करते हैं। विभिन्न राज्यों की झांकियां वहाँ के सांस्कृतिक जीवन, वेषभूषा, रीति-रिवाजों, औद्योगिक तथा सामाजिक क्षेत्र में आये परिवर्तनों का चित्र प्रस्तुत करती हैं। अनेकता में एकता का ये परिदृष्य अति प्रेरणादायी होता है। गणतन्त्र दिवस की संध्या पर राष्ट्रपति भवन, संसद भवन तथा अन्य सरकारी कार्यालयों पर रौशनी की जाती है।

26 जनवरी का पर्व देशभक्तों के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी समेटे हुए है। प्रत्येक भारतीय को अपने देश की आजादी प्यारी थी। भारत की भूमि पर पग-पग में उत्सर्ग और शौर्य का इतिहास अंकित है। किसी ने सच ही कहा है- “कण-कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।“ ऐसे ही अनेक देशभक्तों की शहादत का परिणाम है, हमारा गणतान्त्रिक देश भारत।

26 जनवरी का पावन पर्व आज भी हर दिल में राष्ट्रीय भावना की मशाल को प्रज्वलित कर रहा है। लहराता हुआ तिरंगा रोम-रोम में जोश का संचार कर रहा है, चहुँओर खुशियों की सौगात है। हम सब मिलकर उन सभी अमर बलिदानियों को अपनी भावांजली से नमन करें, वंदन करें।

जय हिन्द, जय भारत



Sunday, January 24, 2016

आप सफल जरूर होंगे । जाने कैसे ?

आप सफल जरूर होंगे जाने कैसे ?

एकाग्रता एवं समर्पण से ही कोई व्यक्ति मेधावी बनता है। मेधावी बनने के लिए सघन एकाग्रता की आवश्यकता होती है। न्यूटन ने कहा था,"यदि मैंने विज्ञान के क्षेत्र में कुछ भी हासिल किया है तो इसका सबसे ज्यादा श्रेय धर्यपूर्ण एकाग्रता को जाता है।"एकाग्रता सफलता का एक रहस्य है। दुनिया की सारी उपलब्धियां चाहे वह कला, विज्ञान, साहित्य या सैन्य क्षेत्र में हों, ये सभी एकाग्रता कीशक्ति पर आधारित हैं। एकाग्रता का मतलब है किसी व्यक्ति की सारी शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा का उस चीज पर टिक जाना जो उसे करना है या कर रहा है।इसके लिए आवश्यक है कि आप उन चीजों को अपने दिमाग से बाहर रखें जिनसे आपका सरोकार नहीं है। इस तरह आप अपनेकाम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। एकाग्रता के बगैर पतली रस्सी पर चलनाशारीरिक करतब दिखाना एवं संतुलन के कारनामे करना संभव नहीं है। ऐसे कामों में उच्च कोटि की एकाग्रता की जरूरत होती है।क्षणिक मानसिक भटकाव भी ऐसे कामों में असफलता के लिए काफी होते हैं। यहां तक कि हमारे प्रदर्शन भी एकाग्रता द्वारा नियंत्रित होते हैं। जो लोग जीवन में सफल हुए हैं उनके लिए एकाग्रता सबसे महत्वपूर्ण बौद्धिक चीज थी। एकाग्रता मूलत: सारे मानसिक शक्तियों एवं संकायों को एक साथ बिना क्षणिक भटकाव के एक विचित्र दिशा में एक निश्चित उद्देश्य के लिए अग्रसर करना है।यदि हमें एकाग्रता को सीखनी है तो हमें यह बात माननी चाहिए कि हम उन्हीं चीजों पर ध्यान देंगे जो हमें करना है या करना चाहते हैं। हमें इस बात की आदत डालनी चाहिए कि हम एक बार में एक ही काम करें। आरामदायक अवस्था में रहना एकाग्रता में काफी सहायक होता है। तनावग्रस्त होकर हम अपनी ऊर्जा का क्षरण करते हैं।विद्यार्थियों को भी परीक्षा से पूर्व पूरा आराम करने की सलाह दी गई है। कई बार किसी बड़े कार्य से पूर्वका आराम हमारी सफलता-असफलता निर्धारित करता है। बिना किसी आराम के लगातार तनावपूर्ण स्थिति में रहना क्रमिक थकान एवं मानसिक रोग का कारण बन सकते हैं। यदि ऐसा भी हो तो हमारा काम निम्नस्तरीय एवं संतुष्टिदायक नहीं होता है। हर व्यक्ति अलग-अलग तरह से आराम करतेहैं। हरेक व्यक्ति का अंदाज एक-दूसरे से जुदा एवं अदभुत होता है।व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए आराम करने के तरीकों में चुटकुले की किताब पढ़ना, अन्य हास्य व्यंग्य की किताब पढ़ना या फिर हास्य फिल्में देखना शामिल हैं। यदि हमारा दिमाग जल्दबाजी, चिंता एवं भय से ग्रस्त है तो हम एकाग्र नहीं हो सकते हैं। ये विशिष्ट प्रकार के जहर एवं अपंगता लाने वाले तत्व हैं। केवल ऐसी जहरीली चीजें, बल्कि ऐसे लोगों को जो आपको परेशान करते हैं उन्हें अपने जीवन से दूर करने की जरूरत है।हमें शांत मानसिक अवस्था की आवश्यकता होती है, ताकि हम प्रतिदिन लिख सकें यद्यपि कुछ लोग ऐसी मानसिकता विकसित कर लेते हैं जहां वे शोरगुल, ट्रैफिक में भी काम कर सकते हैं।किसी भी मुद्दे पर एकाग्रता को जितना संभव हो सके उसे हितकारी बनाना चाहिए।
अच्छी परिस्थितियों में भी एकाग्रता मुश्किल होती है। लेकिन शोर-गुल, भटकावों एवं व्यवधानों से दूर एक शांत स्थान एकाग्रता के लिए उपयुक्त होता है। एक छात्र एवं सरकारी अधिकारी दोनों ही रूपों में मैंने महसूस किया कि यदि मुझे अपनी पढ़ाई या किसी समस्या पर एकाग्र होना होता तो एक शांत जगह बिल्कुल उपयुक्त होती थी, जो कि काफी सहायक भी होती थी।न केवल नए लोगों के लिए, बल्कि अधिकांश लोगों के लिए उनके रचनात्मककार्यो एवं सोच के लिए शांत एवं सुखदवातावरण की आवश्यकता होती है। उच्च कोटि की एकाग्रता ही अद्भुत चीजें पैदा कर सकती है या किसी विषय में सिद्धहस्त बना सकती है।हर व्यक्ति की वातावरणीय आवश्यकताएं एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। जैसे मुझे संतुलित तापमान में काम करना अच्छा लगता है जो कि 22 सेंटीग्रेट सेल्सियस के आसपास हो औरअपने आराम कुर्सी या सोफे पर बैठा हूं तथा मेरा लैपटॉप मेरी गोद में।

काम करते समय मैं टीवीडीवीडी, मोबाइल आदि बंद कर देता हूं। उस समय के सारे कॉल ऑसरिंग मशीन पर निर्देशित कर देता हूं। जैसे लोग अपनी सुविधानुसार मुझसे बातें करते हैं।कई हैं जो अपने बिस्तर पर बेड के नीचे बैठकर काम करना पसंद करते हैं। यह हम प्रत्येक पर निर्भर करता है किएकाग्रता के लिए हमें कैसी जगह चाहिए। मगर साधारणत: सर्वश्रेष्ठ काम एकांत में ही किए जाते हैं।एकाग्रता कायम करने के लिए आवश्यक है कि आप पहले से निर्धारित कर लें कि आपको किसी पर ध्यान केंद्रित करना है। यदि आप पूरी योजना के साथ कार्य प्रारंभ नहीं करते हैं तो संभव है कि आप फोन कॉल का जवाब देने, पेपर पत्रिका पढ़ने, -मेल देखने या स्नैक्स खाने आदि ऐसे कामों में अपना समय बर्बाद करेंगे।कुछ लोग जिनके पास कुछ करने को नहीं होता है या फिर कोई निर्धारित लक्ष्य नहीं होता है, किसी भी दिन की शुरुआत करने से पहले ये निर्धारित करें कि दिन भर क्या-क्या करना है और उनमें से किन सबसे महत्वपूर्ण चीजोंपर विशेष ध्यान देना है।
सबसे पहले अपनी योजना तैयार करें।किसी निश्चित उद्देश्य या लक्ष्य केबगैर आप अपनी पूरी ऊर्जा एवं समय लगाने के बावजूद आपको कई प्रकार के भटकाव को झेलना पड़ेगा। सही कार्य योजना तैयार करने से आपको पता होता है कि आपको अपनी मानसिक ऊर्जा कहां खर्च करनी है जो आपको इसके अपव्यय से बचाती है। हमारा दैनिक कार्यक्रम हमें किसी एक सबसे महत्वपूर्ण कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में मददगार होता है और हम अपने कामों को उनके महत्व के आधार पर क्रमश: करते जाते हैं। यह किसी प्रकार के संदेह या भटकाव से बचाता है। एक कार्य योजना तैयार कर उसके अनुरूप कार्य करना जो कि हमारेलिए महत्वपूर्ण है, हमारी एकाग्रता के लिए वरदान है।


किसी भी कार्य की गुणवत्ता एवं उत्पादकता  केवल हमारी मेहनत पर निर्भर करता है, बल्कि उसके साथ हमारे एकाग्र होने की क्षमता भी मायने रखती है। हम चाहे जितनी भी मेहनत कर लें पर जब तक हम उसमें एकाग्रता को शामिल नहीं करेंगे, उसमें महारत हासिल नहीं कर सकते हैं।
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